श्री माता वैष्णो देवी के ऐसे भक्त की कहानी जिसने अभी की आखे नम कर दी दरसअल एक 44 वर्षीय भक्त, जिसका नाम गोरख लाल बताया जा रहा है जो कोरोना महामारी में भी 29 दिनों तक पैदल चल गोरखपुर से कटरा श्री माता वैष्णो देवी की पवित्र यात्रा करने पहुचे वही गोरख लाल ने गोरखपुर से कटरा का पूरा सफर पैदल करते हुए लगभग 1,000 किमी की दूरी तय की जिसने सभी की नींदे उड़ा दी वही वह आखिरकार शनिवार को श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा करने में सक्षम भी रहे। 5 अगस्त को भक्त, गोरख लाल ने यूपी के मैनपुरी, से तीर्थ यात्रा शुरू की थी और 2 सितंबर को कटरा पहुंचे।
वही गोरख लाल ने स्वयं को तीर्थयात्री के रूप में पंजीकृत नहीं किया था और साथ ही उनके पास कोरोना का प्रमाण पत्र नहीं था जिसके चलते शुरुवात में उन्हे श्री माता यात्रा करने की अनुमति नहीं मिली क्यूंकि श्राइन बोर्ड के नियम के मुताबिक भक्तो को पास नेगेटिव कोरोना रिपोर्ट साथ यात्रा पर्ची होना अनिवार्य है जो की गोरख लाल के नहीं थी।
महामारी के मद्देनजर, मंदिर बोर्ड ने प्रतिदिन यात्रा करने की अनुमति देने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या को कम कर दिया है और ऑनलाइन पंजीकरण और हाल ही में हुए कोविड -19 नकारात्मक रिपोर्ट को भी यात्रा के लिए आवश्यक बताया है।
वही गोरख लाल ने खुद को मुसीबत में देख एक स्थानीय दुकानदार से मदद मांगी, जिसने कटरा में स्थित अधिकारीयों को तत्कालीन सूचित भी किया।
रियासी के जिला आयुक्त (डीसी) इंदु कंवल चिब ने कहा, “श्री माता वैष्णो देवी के कट्टर भक्त गोरख लाल, यूपी से कटरा तक पहुंचने के लिए पूरे रास्ते पैदल चल कर आए है जिसे इनकी भक्ति का साफ अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
वही अधिकारी ने बताया की पहले हमने गोरख लाल को कुछ दिन कोरेन्टीन किया साथ ही उनकी कोरोना संक्रमण की जांच भी की जिसमे उन्हे नेगेटिव पाया गया|
उसी के उपरांत ही उन्हे श्री माता वैष्णो देवी यात्रा पर जाने के लिए अनुमिति मिल गयी|
वही डीसी ने स्पष्ट किया कि इस मामले में रियायतें केवल इसलिए दी गईं क्योंकि आदमी ने 29-दिन की यात्रा की थी। उसने कहा, “हम अपंजीकृत लोगों को धर्मस्थल की यात्रा करने की अनुमति नहीं दे सकते। हालांकि, मैं नियमों के लिए एक छड़ी हूँ, मैंने इस मामले में भरोसा किया क्योंकि आदमी यहाँ तक पहुँचने के लिए लगभग एक महीने तक चला था, ”उसने कहा।